CHHATTISGARH: आदिवासी समुदाय का विकास छत्तीसगढ़ सरकार की प्राथमिकता………….. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर सरकार का विशेष फोकस

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार आदिवासी समुदाय के समग्र विकास की दिशा में बड़ी पहल कर रही है। राज्य में लगभग 30 प्रतिशत आबादी आदिवासी है, जो ज्यादातर सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहती है। इन समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने के उद्देश्य से सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया है। यह प्रयास न केवल आदिवासी समाज के जीवन स्तर को ऊँचा उठा रहे हैं बल्कि वामपंथी उग्रवाद की समस्या को भी नियंत्रित कर रहे हैं।

शिक्षा में सुधार: स्थानीय भाषाओं में शिक्षा और एकलव्य विद्यालयों की स्थापना

सरकार का मानना है कि आदिवासी समाज के सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी साधन शिक्षा है। इसलिए, राज्य में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, जहाँ विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। इन विद्यालयों में मेधावी छात्रों को अखिल भारतीय मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। इसके अलावा, सरकार ने आदिवासी छात्रों के लिए तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा में ब्याज रहित ऋण की भी सुविधा प्रदान की है, जिससे वे बिना वित्तीय बाधाओं के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आदिवासी समुदाय के बच्चों को उनकी स्थानीय भाषाओं में प्रारंभिक शिक्षा देने का निर्णय लिया गया है। इसके अंतर्गत, पहली बार 18 स्थानीय भाषाओं में स्कूली पाठ्यपुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंड़ी और कुडुख शामिल हैं। सरकार का यह कदम बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई करने की सुविधा देने के साथ-साथ उनके सांस्कृतिक पहचान को भी संजोने का प्रयास है।

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नियद नेल्ला नार योजना: बुनियादी सुविधाओं का विस्तार

माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासी विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव) योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत 96 गांवों का चयन किया गया है, जो माओवादी गतिविधियों से प्रभावित हैं। इन गांवों में शासन के 17 विभागों की 53 योजनाओं के तहत आवास, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, पुल, पुलिया और स्कूल जैसे बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इस पहल के माध्यम से सरकार ने माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में विकास को प्राथमिकता दी है, जिससे इन इलाकों के लोग सरकार के करीब आ सकें और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सके।

स्वास्थ्य सेवाओं का सशक्तिकरण: शहीद वीर नारायण सिंह योजना

छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए शहीद वीर नारायण सिंह विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 20 लाख रुपये तक की सहायता राशि प्रदान की जाती है। साथ ही, सरकार ने 68 लाख गरीब परिवारों को अगले पांच साल तक मुफ्त राशन देने का निर्णय लिया है, जिससे उन्हें पोषण सुरक्षा मिल सके।

आदिवासी क्षेत्रों में 57 मोबाइल मेडिकल यूनिट भी संचालित की जा रही हैं, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक आसानी से पहुंच सकें। इसके अलावा, पीव्हीटीजी (विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति) के परिवारों के लिए विद्युतीकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार हेतु राज्य सरकार ने अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया है।

तेंदूपत्ता संग्रहण की दर में वृद्धि: रोजगार के नए अवसर

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्रहण एक प्रमुख आजीविका का साधन है। राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के लोगों के रोजगार में सुधार के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण की दर को 4000 रुपये से बढ़ाकर 5500 रुपये कर दिया है। इस निर्णय से करीब 12 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित हुए हैं। साथ ही, राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए चरण पदुका वितरण योजना शुरू करने की भी योजना बनाई है। इन प्रयासों से आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।

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सड़क और संचार नेटवर्क का विस्तार: बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना

छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी इलाकों में सड़क और संचार नेटवर्क के विस्तार पर विशेष ध्यान दे रही है। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्नम तक ईकोनॉमी कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जिसका सीधा फायदा इन क्षेत्रों को मिलेगा। मुख्यमंत्री की पहल पर रायगढ़-धरमजयगढ़-मैनपाट-अंबिकापुर-उत्तर प्रदेश सीमा तक राष्ट्रीय राजमार्ग का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया गया है। यह सड़क छत्तीसगढ़ राज्य को अयोध्या धाम से सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जिससे आदिवासी इलाकों के लोगों को परिवहन सुविधाओं में सुधार का लाभ मिलेगा।

पीएम जनमन और पीएमश्री योजना का लाभ

केंद्र सरकार की पीएम जनमन योजना के तहत आदिवासी बसाहटों में बुनियादी सुविधाएं तेजी से विकसित की जा रही हैं। इसके अलावा, पीएमश्री योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के 263 स्कूलों को मॉडल स्कूलों के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन स्कूलों में बच्चों को रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य आधुनिक विषयों की शिक्षा दी जा रही है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी पीएमश्री स्कूल खोले जा रहे हैं, जिससे आदिवासी बच्चे आधुनिक और कौशलयुक्त शिक्षा से लैस हो रहे हैं।

आदिवासी समाज की सशक्तिकरण में कृषि और प्राकृतिक संसाधनों का योगदान

कृषि क्षेत्र में सरकार ने आदिवासी समुदाय के विकास के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। कृषि बजट में वृद्धि करते हुए खेती-बाड़ी से जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सरकार ने जलवायु अनुकूल नई फसलों की किस्मों के विकास के साथ-साथ प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10,000 जैविक संसाधन केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। इससे आदिवासी बहुल क्षेत्रों के किसानों को बेहतर खेतीबाड़ी के अवसर मिलेंगे।

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निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ सरकार के ये प्रयास आदिवासी समाज के विकास के नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में आदिवासी समाज के उत्थान के लिए बुनियादी सुविधाओं से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक हर क्षेत्र में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इन योजनाओं से आदिवासी समाज का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण हो रहा है।


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