CG: छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए बना डैशबोर्ड, जंगलों में औषधीय पौधों के संरक्षण में प्रिमिटिव ट्राइब्स के सुझाव पर राज्य में होगा अमल
- जलवायु परिवर्तन पर उनके सुझावों को देश के बाहर भी साझा किया जाएगा
- प्रकृति प्रेमी जनजातियों के अनुभव व ज्ञान का मिलेगा लाभ
- ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर ने राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की
- रायपुर में दो दिवसीय ‘‘छत्तीसगढ़ क्लाइमेट चेंज कॉन्क्लेव 2024‘‘ का आयोजन
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और इसके प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए देश में छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी तरफ से विशेष पहल की है। छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए डैशबोर्ड बनाया गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की प्रिमिटिव ट्राइब्स व वैद्यराजों से सुझाव लेकर सरकार अमल करेगी।
रायपुर में आयोजित दो दिवसीय ‘‘छत्तीसगढ़ क्लाइमेट चेंज कॉन्क्लेव 2024‘‘ में प्रदेश की प्रिमिटिव ट्राइब्स के प्रतिनिधियों व वैद्यराजों को आमंत्रित किया गया जहां प्रकृति संरक्षण की दिशा में उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की व उनसे सुझाव मांगे गए। उनसे मिले सुझावों पर रणनीति तय कर प्रकृति को बचाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार काम करेगी।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा यह सम्मेलन वैश्विक चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी और अनुभव साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगा। उन्होंने भावी पीढ़ियों की हित के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने के सामूहिक प्रयासों पर ज़ोर दिया।
कॉन्क्लेव में ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर डॉ. एन्ड्रयू फ्लेमिंग ने जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने जनजातीय समुदाय से प्राप्त ज्ञान का लाभ उठाने के राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा ये सुझाव देश और दुनिया के लिए भी लाभप्रद होंगे।
कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन पर बनाए गए एक्शन प्लान को रखा गया जिसमें लगभग सौ वर्ष के आंकड़े का आकलन किया गया। जिस पर विश्लेषण करते हुये पाया गया कि पिछले लगभग 116 सालों में राज्य की वार्षिक वर्षा में कमी देखी गयी है। सरगुजा, बलरामपुर, जांजगीर-चांपा, सूरजपुर, रायगढ़, कोरिया, रायपुर और महासमुंद जिलों में गिरावट की प्रवृत्ति देखी गई, जहां न्यूनतम 3.95 मिमी/वर्ष से 3.05 मिमी/वर्ष की गिरावट दर्ज की गई।
मार्च-अप्रैल-मई (एमएएम) के दौरान छत्तीसगढ़ के जिलों में औसत अधिकतम तापमान उच्च रहा और सुकमा में 36.11 डिग्री सेल्सियस से लेकर राजनांदगांव जिले में 38.88 डिग्री सेल्सियस तक रहा।
अवधि 1951-2017 के दौरान गर्मियों का अधिकतम तापमान बलरामपुर में 0.15 डिग्री सेल्सियस से लेकर गरियाबंद में 1.10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। 16 जिलों में 10 से अधिक बार गंभीर सूखे की स्थिति देखी गई और सूखे की अधिकतम आवृत्ति सरगुजा (19), रायगढ़ (18), और जांजगीर-चांपा (18) जिलों में थी। 3 जिलों में सरगुजा (14), रायगढ़ (11), और जशपुर (10) अत्यधिक सूखे की स्थिति देखी गई।
देश भर से इस कॉन्क्लेव में शामिल होने आए विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों द्वारा जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों और इसके प्रतिकूल प्रभावों के बारे महत्वपूर्ण जानकारियां और अनुभव साझा किए गए।