AMBIKAPUR: क्या आप इस वर्ष संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों से बीएससी, बीए और बीकॉम प्राइवेट करना चाहते है ?…………..तो पढ़िए यह खबर
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा से सम्बद्ध महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू होने के बाद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। इस विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार आज स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश का अंतिम दिन है। ऐसे में विद्यार्थियों के सामने एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है, खासकर उन छात्रों के लिए जो रेगुलर और प्राइवेट कोर्स के बीच फैसला नहीं कर पाए हैं या फिर प्राइवेट पाठ्यक्रम का इंतजार कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, स्नातक स्तर के कोर्सों जैसे बीएससी, बीकॉम, बीए, बीसीए और बीबीए में नए नियम लागू किए गए हैं। यह नीति विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है जो रेगुलर कोर्स के माध्यम से अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन कोर्सों के तहत पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं दिसंबर 2024 में प्रस्तावित हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि जो भी छात्र इस साल रेगुलर कोर्स में दाखिला लेगा, उसे तुरंत अपनी पढ़ाई शुरू करनी होगी ताकि परीक्षा की तैयारी समय पर हो सके।
हालांकि, इस नई शिक्षा नीति और प्रवेश प्रक्रिया में सबसे बड़ी चिंता प्राइवेट छात्रों के लिए उठ खड़ी हुई है। अब तक उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ ने प्राइवेट छात्रों के लिए किसी भी तरह के स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। कई छात्र, जो किसी कारणवश रेगुलर कोर्स में दाखिला नहीं लेना चाहते या नहीं ले पा रहे हैं, वे प्राइवेट रूप से अपनी पढ़ाई जारी रखने का विकल्प चुनते हैं। लेकिन, इस बार प्राइवेट छात्रों के लिए किसी भी आधिकारिक सूचना की अनुपस्थिति ने उनके लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है।
अगर आज के बाद कोई छात्र रेगुलर कोर्स में प्रवेश नहीं लेता और उच्च शिक्षा विभाग प्राइवेट छात्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं करता है, तो उन छात्रों का एक साल बर्बाद हो सकता है। यह समस्या विशेष रूप से उन छात्रों के लिए गंभीर है, जो निजी कारणों, परिवारिक दायित्वों, आर्थिक मुद्दों या अन्य किसी कारण से रेगुलर पाठ्यक्रमों में भाग नहीं ले सकते। प्राइवेट छात्रों के पास अक्सर लचीलेपन का विकल्प होता है, जिसमें वे अपनी गति से पढ़ाई कर सकते हैं और नियमित कॉलेज जाने की बाध्यता से मुक्त रहते हैं। लेकिन अगर इस साल प्राइवेट कोर्स की व्यवस्था नहीं होती है, तो वे छात्र शैक्षणिक रूप से पीछे रह जाएंगे।
उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ द्वारा अब तक प्राइवेट छात्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी न करने की वजह से कई छात्रों को यह चिंता सता रही है कि उन्हें क्या करना चाहिए। कुछ छात्रों को यह भी लग रहा है कि वे रेगुलर कोर्स में दाखिला लेने के लिए मजबूर हो जाएंगे, भले ही उनकी परिस्थिति इसके अनुकूल न हो। ऐसे में छात्र मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी शैक्षणिक योजनाओं के बारे में कोई स्पष्टता नहीं मिल पा रही है।
इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। विभाग को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे ताकि छात्रों की अनिश्चितता समाप्त हो सके। अगर विभाग प्राइवेट छात्रों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी करता है, तो इससे उन छात्रों को बहुत राहत मिलेगी जो रेगुलर कोर्स में दाखिला नहीं ले सकते हैं। लेकिन अगर दिशा-निर्देश जारी नहीं होते हैं, तो यह छात्रों के एक वर्ष को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनके करियर पर गहरा असर पड़ेगा।
इस पूरे परिदृश्य में छात्रों और उनके अभिभावकों को सतर्क रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे समय पर सही निर्णय लें। अगर रेगुलर कोर्स में दाखिला लेना उनकी स्थिति में संभव है, तो उन्हें इसे एक विकल्प के रूप में गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन, अगर वे प्राइवेट कोर्स का इंतजार कर रहे हैं, तो उन्हें विभाग की ओर से आने वाली किसी भी आधिकारिक सूचना का ध्यानपूर्वक इंतजार करना चाहिए।
इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग इस स्थिति को छात्रों के प्रति संवेदनशीलता के साथ समझें। शिक्षा नीतियों और व्यवस्थाओं का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक विकास को समर्थन देना होता है, न कि उन्हें किसी प्रकार के तनाव या अनिश्चितता की स्थिति में डालना। खासकर जब किसी नीति का क्रियान्वयन हो रहा हो, तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे छात्रों को कोई अनावश्यक नुकसान न हो।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों को अधिक लचीलापन, व्यापक ज्ञान और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी शिक्षा प्रदान करना है। लेकिन इन नीतियों के क्रियान्वयन के दौरान यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सभी प्रकार के छात्रों की आवश्यकताओं और समस्याओं को ध्यान में रखा जाए, चाहे वे रेगुलर हों या प्राइवेट।
इस संदर्भ में यह देखना दिलचस्प होगा कि उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ कैसे इस स्थिति को संभालता है। क्या वे प्राइवेट छात्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे? और अगर हां, तो कब तक? यह सभी सवाल अब छात्रों के मन में हैं, और उनका भविष्य काफी हद तक इन सवालों के जवाब पर निर्भर करता है।
अंततः, छात्रों को इस समय अपने सभी विकल्पों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अगर वे रेगुलर कोर्स में दाखिला लेने में सक्षम हैं, तो यह उनके लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, खासकर तब जब प्राइवेट कोर्स के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है। दूसरी ओर, अगर वे प्राइवेट कोर्स का इंतजार करना चाहते हैं, तो उन्हें विभाग से किसी भी आधिकारिक घोषणा का धैर्यपूर्वक इंतजार करना होगा।
शैक्षणिक निर्णयों में अक्सर समय और स्थिति की गंभीरता का ध्यान रखना पड़ता है। इस मामले में, सही समय पर सही निर्णय लेना छात्रों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस स्थिति का समाधान निकालना चाहिए ताकि किसी भी छात्र का एक वर्ष व्यर्थ न हो और उन्हें भविष्य में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।