AMBIKAPUR: व्यापम के विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में अनुपस्थित परीक्षार्थियों की संख्या लगातार हो रही है अधिक………….राज्य सरकार को नीति में सुधार की जरूरत

छत्तीसगढ़ राज्य में व्यापम द्वारा आयोजित प्रयोगशाला तकनीशियन भर्ती परीक्षा में बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के अनुपस्थित रहने की समस्या आज सामने आई है। अंबिकापुर के बारे में केवल बात करें तो यहाँ इस परीक्षा के लिए 31 परीक्षा केंद्रों पर 14,098 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया था, लेकिन उनमें से केवल 6,422 ही परीक्षा में उपस्थित हुए, जबकि 7,676 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। यह समस्या राज्य में आयोजित अन्य निःशुल्क परीक्षाओं में भी देखी गई है, जिससे राज्य सरकार के कोष पर भारी बोझ पड़ रहा है।
राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क परीक्षा आयोजित करने का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को अवसर प्रदान करना है, ताकि वे बिना किसी आर्थिक दबाव के प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग ले सकें। हालांकि, निःशुल्क परीक्षा प्रणाली में बार-बार अनुपस्थित रहने वाले परीक्षार्थियों की संख्या अधिक होने से यह उद्देश्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। परीक्षा में पंजीकरण कराने के बाद भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों का अनुपस्थित रहना न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग है, बल्कि इस स्थिति से उन छात्रों को भी नुकसान होता है, जो वास्तव में इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं।
यह देखा गया है कि जब परीक्षाओं में कोई शुल्क नहीं लिया जाता, तो कई बार ऐसे छात्र भी फॉर्म भरते हैं जो परीक्षा में शामिल होने के प्रति गंभीर नहीं होते। परिणामस्वरूप, वे परीक्षा के दिन अनुपस्थित रहते हैं, जिससे सरकार के संसाधनों की बर्बादी होती है। परीक्षा आयोजन, परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था, पर्यवेक्षकों की नियुक्ति और अन्य व्यवस्थाओं में होने वाले खर्च के बावजूद, यदि आधे से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा में उपस्थित नहीं होते, तो यह राज्य के कोष पर अनावश्यक भार डालता है।
इस समस्या को हल करने के लिए विशेषज्ञों और विभिन्न शिक्षा विशेषज्ञों ने सुझाव है कि राज्य सरकार को परीक्षा शुल्क के संबंध में नई नीति अपनानी चाहिए। अगर परीक्षा पूरी तरह से निःशुल्क ही रखनी है, तो पिछली परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले परीक्षार्थियों से अगले परीक्षा फॉर्म भरने के लिए कुछ शुल्क लिया जाना चाहिए। यह नीति सुनिश्चित करेगी कि केवल वही छात्र जो परीक्षा में भाग लेने के प्रति गंभीर हैं, फॉर्म भरें और परीक्षा में सम्मिलित हों। इसके अलावा, जो परीक्षार्थी पिछले परीक्षा में उपस्थित रहे हों, उन्हें अगली परीक्षा के लिए निःशुल्क अवसर प्रदान किया जा सकता है। इस तरह की नीति से छात्रों को प्रोत्साहन मिलेगा कि वे परीक्षा में समय पर उपस्थित हों और अनुपस्थिति की संख्या में कमी आएगी।
इस नीति से सरकार के कोष पर अनावश्यक दबाव कम होगा और परीक्षा आयोजित करने में लगने वाले संसाधनों का सही उपयोग हो सकेगा। इसके अलावा, यह नीति छात्रों में परीक्षा के प्रति एक गंभीरता का भाव भी विकसित करेगी, जिससे वे परीक्षा में शामिल होने के प्रति अधिक समर्पित होंगे।
यह भी महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार जागरूकता अभियानों के माध्यम से छात्रों को इस बारे में जानकारी दे कि निःशुल्क परीक्षाओं का लाभ उठाने का अवसर उनके भविष्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, परीक्षाओं के प्रति छात्रों के दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और अभिभावकों की भी भूमिका अहम हो सकती है।
निष्कर्षतः, छत्तीसगढ़ राज्य में परीक्षाओं के आयोजन को अधिक प्रभावी और संसाधन-सक्षम बनाने के लिए, राज्य सरकार को परीक्षा शुल्क नीति में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। इससे परीक्षा में गंभीरता बढ़ेगी और सरकारी संसाधनों का सही उपयोग हो सकेगा।