SURGUJA: बरसात के मौसम में मिलने वाले पुटू और खुखड़ी की कीमत में बनी हुई है तेजी………… क्या आपने सुना है भैंसा खुखड़ी के बारें में

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सरगुजा में बरसात के मौसम में मिलने वाले पुटू और खुखड़ी की कीमत में तेजी बनी हुई है। इसे चिकन और मटन के समान ही पौष्टिक मानते हुए सरगुजावासियों के लिए यह पसंदीदा आहार माना जाता है। मानसून शुरू होते ही सरगुजा संभाग के सभी जिले में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक रूप से उगने वाला मशरूम यानि पुटू और खुखड़ी मिलने लगा है । पुटू और खुखड़ी के लिए मारामारी मचने लगी है। शुरुआती दिनों में 1000 रुपये किलो तक बिकने वाला और जंगल में फोकट में मिलने वाला यह पुटू खुखड़ी कुछ दिनों के लिए लोगों की पहली पसंद बन गया है, क्योंकि इसका स्वाद कृत्रिम रूप से तैयार होने वाले मशरूम से कई गुना अधिक और लाजवाब होता है।

सरगुजिहा पुटू, खुखड़ी का नाम आते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। यहां के पुटू और खुखड़ी का इंतजार साल भर से लोगों को रहता है। जैसे ही मानसून की पहली बौछार पड़ती है, सरगुजा में पुटू खुखड़ी का निकलना शुरू हो जाता है। शुरुआती सीजन में तो सरगुजा क्षेत्र के लिए पुटू ग्रामीण रोजगार का एक बड़ा साधन भी बन जाता है। महंगे दामों में बिकने के कारण फोकट के इस पुटू, खुखड़ी से ग्रामीण अच्छा आय भी अर्जित करते है।

सरगुजा संभाग में पाए जाने वाले अलग अलग मशरूम को स्थानीय अलग-अलग नामों से जानते और पहचानते हैं। सरगुजा संभाग में पाए जाने वाले अधिकांश मशरूम का उपयोग औषधीय के रूप में स्थानीय लोग करते हैं। बलरामपुर जिले में मिलने वाला भैंसा खुखड़ी का औसतन वजन आठ से 10 किलोग्राम का होता है। यह खुखड़ी शुगर के मरीजों के लिए कारगर बताया जाता है। इस खुखड़ी का उत्पाद ग्रामीण क्षेत्र में ही फिलहाल लोगों ने लिया है। शहरी लोगों तक इस खुखड़ी का स्वाद नहीं पहुंच पाया है। अमूमन आकार बड़ा होने के कारण यह लोगों से दूर है। सरगुजा के जंगलों में प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पुटू, खुखड़ी इतना गुणकारी व औषधीय तत्वों वाला होता है कि इससे कई बीमारियों को तो दूर किया जा सकता है, इसके सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।

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