AMBIKAPUR DIWALI PUJA MUHURAT: आज शाम लक्ष्मी पूजन के लिए यह है सबसे अच्छा मुहूर्त…………जानें पूजन विधि………….घर में इस तरह करें लक्ष्मीजी का स्वागत

दीपावली का पर्व हर भारतीय के लिए विशेष होता है, क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से घर में धन, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है, और इसे सही ढंग से करने से परिवार में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि का संचार होता है। यहां हम दीपावली पूजन विधि को विस्तार से समझेंगे, जिसमें पूजा की तैयारी, पूजन सामग्री, मुहूर्त, पूजन प्रक्रिया और आरती का समावेश है।
1. पूजन की तैयारी
दीपावली पूजन की शुरुआत घर की साफ-सफाई से होती है। यह माना जाता है कि मां लक्ष्मी स्वच्छ और सुंदर स्थान में वास करती हैं, इसलिए घर के हर कोने की अच्छे से सफाई करें। विशेषकर पूजा स्थल को साफ करें और वहां हल्दी, रोली या गंगाजल छिड़कें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और स्थान शुद्ध हो जाता है।
पूजन स्थल सजाना: पूजन स्थल को अच्छे से सजाएं। एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं, जो शुभ माना जाता है। इस पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की मूर्तियां स्थापित करें। इन मूर्तियों के सामने एक कलश रखें, जिसमें जल भरें और उसमें आम के पत्ते, सुपारी, नारियल और हल्दी डालें। यह कलश समृद्धि और सुख का प्रतीक माना जाता है।
पूजन सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में फूल, दीपक, कपूर, धूप, चावल, रोली, सिंदूर, हल्दी, गुड़, बताशे, अगरबत्ती, फल, मिठाई, गुलाब जल, तेल, और घी शामिल हैं। साथ ही चांदी या पीतल की थाली, लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर और अन्य पूजन सामग्री भी पहले से तैयार कर लें।
2. पूजन का शुभ मुहूर्त
दीपावली पूजन के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल में होता है। प्रदोष काल शाम के समय का होता है, जो सूर्यास्त के बाद से लगभग 2 घंटे तक चलता है। यह समय मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम मुहूर्त माना गया है। अंबिकापुर में प्रदोष काल का समय शाम 05 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
3. पूजन विधि
पूजा की प्रक्रिया में सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता माने जाते हैं और उनके बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।
गणेश पूजन: भगवान गणेश का आह्वान करें। उन्हें जल, अक्षत, पुष्प, सिंदूर और दूर्वा अर्पित करें। गणेश जी को विशेष रूप से मोदक का भोग लगाएं, क्योंकि यह उनका प्रिय माना जाता है। इसके बाद भगवान गणेश से पूजन में बिना किसी विघ्न के संपन्न होने की प्रार्थना करें।
मां लक्ष्मी का पूजन: इसके बाद मां लक्ष्मी का पूजन शुरू करें। मां लक्ष्मी की मूर्ति को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं। फिर उन्हें चंदन, पुष्प, चावल, हल्दी, और सिंदूर चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को खीर, मिठाई, और कमल का पुष्प अर्पित करें। मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए दीप जलाएं और उनकी आरती करें। माना जाता है कि दीप जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वर्षा करती हैं।
कुबेर पूजन: धन के देवता कुबेर का पूजन करें। उन्हें पुष्प, धूप, चावल, चंदन और पीला वस्त्र अर्पित करें। इससे घर में आर्थिक समृद्धि बनी रहती है। कुबेर देवता को लक्ष्मी का सहायक माना जाता है, और इनकी पूजा से धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
धन की थाल का पूजन: पूजन स्थल पर एक थाल में गेहूं या चावल रखें और इस थाल का पूजन करें। इस थाल को घर के सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस पूजन से घर में अन्न-धन का भंडार हमेशा भरा रहता है और कोई कमी नहीं होती।
दीपक जलाना: पूजन स्थल पर दीपक जलाएं। मुख्य दरवाजे और आंगन में भी दीप जलाएं, जिससे मां लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके। कम से कम 13 दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दीपावली पर घर के प्रत्येक कोने में दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का प्रवाह होता है।
4. मंत्र जाप
दीपावली पूजन में विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है। इन मंत्रों के जाप से पूजन का प्रभाव बढ़ता है और मन को शांति मिलती है।
- “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का जाप 108 बार करें। यह मंत्र मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।
- “श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप भी लाभकारी होता है।
- “ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्” मंत्र का भी जाप करें, जो लक्ष्मी कृपा के लिए अति शुभ माना जाता है।
5. आरती करना
पूजन के बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें। लक्ष्मी माता की आरती में “जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता” गाएं। यह आरती मां लक्ष्मी को अत्यधिक प्रिय है। गणेश जी की आरती में “जय गणेश देवा” गाएं। इसके बाद अपने कुलदेवता और घर के अन्य देवताओं की आरती भी करें। आरती के बाद कपूर जलाएं और उसकी आरती परिजनों पर घुमाएं, जिससे सभी को माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो।
मां लक्ष्मी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
6. प्रसाद वितरण
पूजन समाप्त होने के बाद, पूजा का प्रसाद सभी परिजनों को बांटें। लक्ष्मी जी को अर्पित की गई मिठाई, फल, खीर या अन्य प्रसाद को सभी में बांट दें। इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करना सौभाग्य का प्रतीक होता है।
7. आशीर्वाद लेना
पूजन के पश्चात घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके पैर छुएं। दीपावली पर बड़ों का आशीर्वाद लेना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है। इसके साथ ही माता-पिता और अन्य बड़े जनों को दीपावली की बधाई दें।
8. मुख्य द्वार और आंगन में दीप जलाना
पूजन के पश्चात घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीप जलाएं। इससे माना जाता है कि मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है। प्रत्येक कोने में दीप जलाना, दरवाजे पर दीप रखना और विशेष रूप से तुलसी के पास दीपक रखना शुभ माना जाता है।
9. घर में लक्ष्मीजी का स्वागत
पूजन के पश्चात घर की महिलाएं मुख्य दरवाजे पर मां लक्ष्मी का स्वागत करती हैं। इस दौरान वे जल, चावल और दीप लेकर मां लक्ष्मी का आवाहन करती हैं। यह स्वागत मां लक्ष्मी को घर में स्थिर रहने का आमंत्रण देने के लिए होता है।
10. विशेष मान्यताएं और सावधानियां
पूजा के दौरान ध्यान रखें कि सभी सामग्री शुद्ध हो और पूजन विधि में ध्यान और श्रद्धा बनी रहे। दीपावली पूजन में हल्की-फुल्की भूल को मां लक्ष्मी क्षमा कर देती हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि पूजा सच्चे मन और पूर्ण विधि-विधान से हो।
दीपावली का यह पर्व खुशियों का प्रतीक है, और यह पूजा विधि आपके जीवन में सुख-समृद्धि का संचार कर सकती है। इस प्रकार विधिपूर्वक दीपावली पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार के सदस्यों पर मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।